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इस भेड़ चाल में हम भी चल रहे थे मुख्य बिन्दुओ से ह

इस भेड़ चाल में हम भी  चल रहे थे
मुख्य बिन्दुओ से हटकर हिन्दू मुस्लिम कर रहे थे
इंसायनियत पल पल हरपल मर रही थी 
हम लाशो से उसका धर्म पूछ रहे थे 

जो दोस्त कभी साथ बैठकर खाया करते थे
आज वो एक दूसरे की जान लेने के लिए घूम रहे थे
जो कभी एक तिरंगें के नीचे राष्ट्रगान गया करते थे
आज हरे में इस्लाम और केसरिया में हिन्दू ढूंढ रहे थे

पता नहीं किस दौर में हम खुद को ढकेल रहें थे 
आने वाली नस्लों को भी हिन्दू मुस्लिम की आग में झोंक रहे थे 
जल रहे थे घर दोनो के उस नफ़रत की आग में 
जिसे लगा कर हम सुनहरे भविष्य का सपना देख रहे थे

मुझे नहीं पता हम कब तक लड़ते रहंगे और कब तक सहेंगे
शायद इंसानियत के खात्मे तक हम एक दूसरे से लड़ते रहंगे हिंसा का धर्म या धर्म की हिंसा 🇮🇳🇮🇳🙏🙏
इस भेड़ चाल में हम भी  चल रहे थे
मुख्य बिन्दुओ से हटकर हिन्दू मुस्लिम कर रहे थे
इंसायनियत पल पल हरपल मर रही थी 
हम लाशो से उसका धर्म पूछ रहे थे 

जो दोस्त कभी साथ बैठकर खाया करते थे
आज वो एक दूसरे की जान लेने के लिए घूम रहे थे
जो कभी एक तिरंगें के नीचे राष्ट्रगान गया करते थे
आज हरे में इस्लाम और केसरिया में हिन्दू ढूंढ रहे थे

पता नहीं किस दौर में हम खुद को ढकेल रहें थे 
आने वाली नस्लों को भी हिन्दू मुस्लिम की आग में झोंक रहे थे 
जल रहे थे घर दोनो के उस नफ़रत की आग में 
जिसे लगा कर हम सुनहरे भविष्य का सपना देख रहे थे

मुझे नहीं पता हम कब तक लड़ते रहंगे और कब तक सहेंगे
शायद इंसानियत के खात्मे तक हम एक दूसरे से लड़ते रहंगे हिंसा का धर्म या धर्म की हिंसा 🇮🇳🇮🇳🙏🙏

हिंसा का धर्म या धर्म की हिंसा 🇮🇳🇮🇳🙏🙏 #अनुभव