Alone *इच्छामुक्त सुखी जीवन* जब से जन्म पाया हमने, इच्छाएं पालते अनेक नई इच्छा जागृत हो जाती, जब पूरी होती एक इच्छाओं में घिरकर भी, हर मानव ढ़ोंग रचाता मन्दिर में भगवान को, अपना दुख दर्द सुनाता इच्छाएं ही दुखी बनाती, अच्छी तरह ये जानता किन्तु इच्छा को पाले बिना, इंसान नहीं मानता इन्द्रियों की दासता ही, अनन्त इच्छाएं जगाती यदि इच्छाएं दूषित हो, तो चरित्र से हमें गिराती हम सबके मन के अन्दर, इच्छाएं शोर मचाती जीवन के लक्ष्य पथ से, इच्छाएं हमें भटकाती और और पाने के पीछे, मन भागता ही जाता नश्वर चीजें पाकर कोई, सुकून कभी ना पाता जीवन है व्यर्थ यदि, शान्ति का सुख ना पाओ सच्ची शान्ति की इच्छा, अपने मन में जगाओ हर विनाशी इच्छा से, स्वयं को मुक्ति दिलाओ आत्म चिन्तन के द्वारा, मन को स्वच्छ बनाओ जितना पवित्र होगा मन, उतनी शान्ति पाओगे वासनाओं मुक्त होकर, जीवन सुखी बनाओगे *ॐ शान्ति* ©Mukesh Kumar Modi #desirePoetry