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दोस्तों की दुआ हर बार ,सबसे लड़कर या कहूँ गुस्सा नि

दोस्तों की दुआ हर बार ,सबसे लड़कर या कहूँ गुस्सा निकालकर ,
मुझसे ही पूछती है दीप्शी सही थी ना मैं,
उसे ऐसा नहीं करना था उसे ऐसा नहीं कहना था,
हैं ना ,बताओ ना
बहुत मासूम है वो या कहूँ एकदम बचपन सी,
ज़िद्दी अपनी ज़िद के लिये सबसे लड़ जाती है,
क्यूं ये मेरा नहीं क्या मैं काबिल नहीं इसके ,
सवालों से लड़ती,
पागल बड़ी हो गयी है अब समझदार भी ,
समझदारी की बातें करती है लेकिन,
उस समझदारी में छिपी उसकी मासूमियत ,
मुझसे अंजान नहीं है कैसे समझ जाती हो तुम,
मुझसे अक्सर ये सवाल करती है ,
कैसे बताऊ मेरे दिल में 
,दुआओं में ,बसती है वो पागल,
मेरी दोस्त .............पल्लो #december #day22 #dost
दोस्तों की दुआ हर बार ,सबसे लड़कर या कहूँ गुस्सा निकालकर ,
मुझसे ही पूछती है दीप्शी सही थी ना मैं,
उसे ऐसा नहीं करना था उसे ऐसा नहीं कहना था,
हैं ना ,बताओ ना
बहुत मासूम है वो या कहूँ एकदम बचपन सी,
ज़िद्दी अपनी ज़िद के लिये सबसे लड़ जाती है,
क्यूं ये मेरा नहीं क्या मैं काबिल नहीं इसके ,
सवालों से लड़ती,
पागल बड़ी हो गयी है अब समझदार भी ,
समझदारी की बातें करती है लेकिन,
उस समझदारी में छिपी उसकी मासूमियत ,
मुझसे अंजान नहीं है कैसे समझ जाती हो तुम,
मुझसे अक्सर ये सवाल करती है ,
कैसे बताऊ मेरे दिल में 
,दुआओं में ,बसती है वो पागल,
मेरी दोस्त .............पल्लो #december #day22 #dost