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अकेला निकल पड़ा हु देश मे कुछ बड़ा करने के लिए सा

अकेला निकल पड़ा हु
  देश मे कुछ बड़ा करने के लिए
साथ कोई नहीं है सहारा देने के लिए
गिरता हूं फिर खड़ा उठ चलता हूं सुबोध
अकेला निकल पड़ा हु
  देश मे कुछ बड़ा करने के लिए
साथ कोई नहीं है सहारा देने के लिए
गिरता हूं फिर खड़ा उठ चलता हूं सुबोध