#परिपक्वता... जीवन में एक समय ऐसा आ जाता है, जहां पे आप न तो किसी से मिलना चाहते हैं, ना किसी से बहस करना, ना ही बातों के उत्तर देना, आपको किसी को जानने की भी इच्छा नहीं होती है, कौन कितना सच्चा है कौन कितना झूठा है इससे भी आपको कोई फर्क नहीं पड़ता है।। बस आप शान्ति से, बिना कुछ बोले खामोशी के साथ, सब कुछ देखते रहते हैं, कौन कितना किस बात का तमाशा कर रहा है।। उनमें से कितने लोग हैं जो कभी आपके अपने थे, आपके साथ खड़े रहते थे, अब वो क्या कर रहें हैं, क्या बोल रहे हैं किसी बात का रत्ती भर भी फर्क नहीं पड़ता है।। आपके साथ किसने क्या अच्छा किया क्या बुरा किया, उससे आपको जैसे कोई मतलब ही नहीं रह जाता है।। शायद दुनिया में इसी को परिपक्वता कहा गया है, जहां आप दुनिया का और लोगों का सोचना छोड़के खुद के लिए सोचना प्रारंभ करते हैं, और अपनी ही दुनिया में कहीं खो जाते हैं।। शायद ऐसा होना सही भी है, क्योंकि जितना आप लोगो से जुड़े रहेंगे, उनके करने कहने का सोचते रहेंगे, उतना ही खुद को परेशान पाएंगे।। #सादर_आभार 🙏 #मन_में_एकाएक #शिव ©Shivendra Gupta #mukhota