यूँ ही रंज़िशों मे गुज़र रही है ज़िन्दगी, कभी तुम खफ़ा और कभी हम खफ़ा, ... मौहम्मद इब्राहीम सुल्तान मिर्जा,, यूँ ही रंज़िशों मे ,,,,,गुज़र रही है ज़िन्दगी,,,,, कभी तुम खफ़ा और,,,,,,,,,, कभी हम खफ़ा