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इश्क़ में धड़कन चुराना सीखा है कहाँ से, अब बेवजह

इश्क़ में धड़कन चुराना सीखा  है कहाँ से, 
अब बेवजह मुस्कुराना तीखा है कहाँ से| 
गमों को हसकर छुपाना बताया है तुम्हीं ने,
अब तुम्हीं कहते हो चेहरा फीका है कहाँ से||

©चंचल 'चमन'
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