बे-ख़ौफ़ इश्क़ (ग़ज़ल) मेरे हमदम का चेहरा आज खिला-खिला सा नज़र आता है कितना मासूम है वो जिसमें हमें खूबसूरत चाँद नज़र आता है वो लहराते हुए आकर यूँ समाए हमारे पहलू में बिल्कुल बे-ख़ौफ़ इश्क़ उनका हमको नज़र आता है ये हमारा तो कसूर नहीं कि हुई मोहब्बत उनसे हमको हमें तो अपने यार में भी बस ख़ुदा नज़र आता है मोहब्बत और ज़ंग में होता है सब कुछ जायज़ उनमें हमें बेबाक जीने का जज़्बा नज़र आता है अब नहीं परवाह हमें दुनिया के सितम की उनके साथ ही से हमको जन्नत का मंज़र नज़र आता है #collabwithकोराकाग़ज़ #kkpc28 #विशेषप्रतियोगिता #kkप्रीमियम #कोराकाग़ज़ Pic credit google