तेरे नाम से मैं ये ख़त लिख रहा हूँ कभी फुर्सत निकाल कर पढ़ लेना मेरे ज़िन्दगी तेरे नाम से, मुझसे ना मुंह फेर लेना पिछली बार की तरह इस बार भी प्यार भेजा है तेरे लिए खुशियाँ एक नहीं, हजार भेजा है वो गुलाब भी भेजा है जो तुमने कभी दिया था वो वादा किया था, और फिर तोड़ दिया था अपने आसूंँओं का पैगाम भी भेजा है अपने ख़ामोश दिल के जज्बात भी भेजा है जो तुमने कभी सुना नहीं, वो सिसकते अल्फाज़ भी भेजा है नमस्ते लेखकों! अप्रैल का महीना कविता लेखन महीना है| इस महीने में आप हमारे साथ कविता लेखन का अभ्यास करे। रोज़ एक कविता लिखने का संकल्प ले, अपनी लेखनी को सुधारे, और हमारे साथ अपनी अनोखी शैली को निखारे। हमारा आज का शब्द है खत | चलिये, एक कदम बढ़ाते है बेहतर लेखनी की ओर।