भरी महफिल मे छलकता जाम छोड़ कर आया हूं तेरे साथ गुजारी हर शाम छोड़ कर आया हूं तू मुझे लाख भूलना चाहे फिर भी नहीं भुला सकती तेरे होठों में वो निशान छोड़ कर आया हूं निसान छोड़ कर आया हूं