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याद तेरी जहन से नहीं जाती है ये मन, कलम तुझपे ही

याद तेरी जहन से नहीं जाती है 
ये मन, कलम तुझपे ही लिखती जाती है 
मेरी कोशिश तो हर रोज होती है निकल जाऊ
खुद को सवार कर, आगे बढ़ जाऊ
एक कदम बढ़ाता हूं तेरी बात मुझे खींच के रोक देती है
मन को मेरे खोरोच देती है
जो मैं सुबह से समेटे रहता हूं, 
शाम होते होते सब बिखरा पता हूं 
उन यादों में फिर मैं उस यादों को ढूंढता चला जाता हूं
हर रोज जहन से तू नहीं न तेरी याद जाती है

©stranger
  #Memories #Feeling #Broken