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सामने मंज़िल थी और, सामने मंज़िल थी और मैं लौट आया,

सामने मंज़िल थी और, सामने मंज़िल थी और मैं लौट आया,
प्यासा था फिर भी पानी तक ना पिया,
जानता हूं सबकुछ छलावा था तेरा,
तभी तेरे मरहम लगाने से अच्छा,
हमने दर्द को नासूर बनना स्वीकारा। #WOD #Feelings #December #Quotes
सामने मंज़िल थी और, सामने मंज़िल थी और मैं लौट आया,
प्यासा था फिर भी पानी तक ना पिया,
जानता हूं सबकुछ छलावा था तेरा,
तभी तेरे मरहम लगाने से अच्छा,
हमने दर्द को नासूर बनना स्वीकारा। #WOD #Feelings #December #Quotes
maltimaurya8975

Malti Maurya

New Creator