सामने मंज़िल थी और, सामने मंज़िल थी और मैं लौट आया, प्यासा था फिर भी पानी तक ना पिया, जानता हूं सबकुछ छलावा था तेरा, तभी तेरे मरहम लगाने से अच्छा, हमने दर्द को नासूर बनना स्वीकारा। #WOD #Feelings #December #Quotes