●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● तेरे एहसासात में ही मुझें सँवरना आ गया, ख़्यालातों के भँवर में डूबकर उबरना आ गया। इल्म था अच्छे से सब रह जाएगा यहीं पर, मग़र टूटकर ज़र्रा ज़र्रा बिख़रना आ गया। ये भटकते रास्तें और सदीद धूप में सफ़र मेरा, मुझें जलतीं ज़मीं पर भी पांव धरना आ गया। वो दास्ताँ तुझसें शुरू थी तुझपर ही ख़त्म हुई, चलते चलते बीच सफ़र में उतरना आ गया। आसान होते नही है ये मोहब्बत के रास्तें आशु, डूबकर इश्क़ के दरिया में पार उतरना आ गया। ●▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬● 🎀 विशेष प्रतियोगिता-3 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 8 से 10 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। 🎀 इस प्रतियोगिता में विजेता बनने के लिए समूह की आज की सभी प्रतियोगिताओं में भाग लेना अनिवार्य है। 🎀 विजेता को एक साल का प्रीमियम सबस्क्रिप्शन उपहार स्वरूप दिया जाएगा।