लहुँ में उबाल रखो पर कुछ संस्कार भी रखो
यूँ न बह जाए कुछ देश के लिए भी बचा रखो,
हर धर्म हो मुझे अज़ीज हर इंसा से प्यार रखो
क्या लेकर आए उस पे भी सोच विचार रखो,
क्यों हर वक़्त आजाते हो किसीके बहकावे में
नेता चुनना है थोड़ी तो विकास की धार रखो, #Shayari#BookLife