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लहुँ में उबाल रखो पर कुछ  संस्कार भी रखो यूँ न बह

लहुँ में उबाल रखो पर कुछ  संस्कार भी रखो
यूँ न बह जाए कुछ देश के लिए भी बचा रखो, 

हर धर्म हो मुझे अज़ीज हर इंसा से प्यार रखो
क्या लेकर आए  उस पे भी सोच विचार रखो, 

क्यों हर वक़्त आजाते हो किसीके बहकावे में 
नेता चुनना है थोड़ी तो  विकास की धार रखो, 

जाती धर्म पर कब तक और  लड़ते रहेंगे हम
किसका नुकसान हुआ इस पर भी बात रखो, 

आज क्या बो रहे कल क्या काटोगे कभी सोचा
क्यों शहीद हो भाई मेरा इसकी भी जांच रखो,

©khyalon ka Safar लहुँ में उबाल रखो पर कुछ  संस्कार भी रखो
यूँ न बह जाए कुछ देश के लिए भी बचा रखो, 

हर धर्म हो मुझे अज़ीज हर इंसा से प्यार रखो
क्या लेकर आए  उस पे भी सोच विचार रखो, 

क्यों हर वक़्त आजाते हो किसीके बहकावे में 
नेता चुनना है थोड़ी तो  विकास की धार रखो,
लहुँ में उबाल रखो पर कुछ  संस्कार भी रखो
यूँ न बह जाए कुछ देश के लिए भी बचा रखो, 

हर धर्म हो मुझे अज़ीज हर इंसा से प्यार रखो
क्या लेकर आए  उस पे भी सोच विचार रखो, 

क्यों हर वक़्त आजाते हो किसीके बहकावे में 
नेता चुनना है थोड़ी तो  विकास की धार रखो, 

जाती धर्म पर कब तक और  लड़ते रहेंगे हम
किसका नुकसान हुआ इस पर भी बात रखो, 

आज क्या बो रहे कल क्या काटोगे कभी सोचा
क्यों शहीद हो भाई मेरा इसकी भी जांच रखो,

©khyalon ka Safar लहुँ में उबाल रखो पर कुछ  संस्कार भी रखो
यूँ न बह जाए कुछ देश के लिए भी बचा रखो, 

हर धर्म हो मुझे अज़ीज हर इंसा से प्यार रखो
क्या लेकर आए  उस पे भी सोच विचार रखो, 

क्यों हर वक़्त आजाते हो किसीके बहकावे में 
नेता चुनना है थोड़ी तो  विकास की धार रखो,

लहुँ में उबाल रखो पर कुछ  संस्कार भी रखो यूँ न बह जाए कुछ देश के लिए भी बचा रखो, हर धर्म हो मुझे अज़ीज हर इंसा से प्यार रखो क्या लेकर आए  उस पे भी सोच विचार रखो, क्यों हर वक़्त आजाते हो किसीके बहकावे में नेता चुनना है थोड़ी तो  विकास की धार रखो, #Shayari #BookLife