बचे लम्हो के नाम का किनारा देकर...... निकल जाता था वो शख्स, वक्त पे किराया देकर......!! और खास उसका, यूँ तो कोई न था...... फिर भी गिरते को संभाल जाता था वो सहारा देकर..... !!!! अर्पित द्विवेदी. #kinara