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विचार एक नित्य सत्य होना चाहिए। ये ज्ञान चेतना के

विचार एक नित्य सत्य होना चाहिए।
ये ज्ञान चेतना के निस्कर्स से निकलता है।
मन से विचार करने से कभी भी गलत हो सकता है।
जितने भी अच्छा बिबेकधारी हो अपनी बिचरों से धर्मा संकट मै पड सकता है।
चाहो वोह मजस्ट्रेट हो या वकील
विचार पक्ष्यपतिता से नहीं बनते
ये निरपेक्षता से बनता है।
विचार सही हो सकता है ।
जब हम
सामने वाले के दिल मै घुस कर
उसिके भावनाओं को समझ सकते है।
उसके दिल के सिलसिला और परिस्थिति अपने अंदर सोच सकते है।

विचार एक सामान्य चिज नहीं होता।

©Sri batsa Meher
  विचार क्या है ?

विचार क्या है ?

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