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कमलेश पहाड़ो में कितना सुकून है यहाँ बिखरा नहीं कि

कमलेश पहाड़ो में कितना सुकून है 
यहाँ बिखरा नहीं किसी का खून है

हरियाली की चादर फैली है इस तरह 
कि जर्रे जर्रे में जीने का जूनून है

©Kamlesh Kandpal #sukun
कमलेश पहाड़ो में कितना सुकून है 
यहाँ बिखरा नहीं किसी का खून है

हरियाली की चादर फैली है इस तरह 
कि जर्रे जर्रे में जीने का जूनून है

©Kamlesh Kandpal #sukun