लम्हा मुद्दतों पुराना वो लम्हा.. आज भी मेरे जेहन में ताजा है। जब तुम बारिश में भीगी हुई.. बिजली की कडक से सहमी हुई.. सुनसान राह से डरी हुई.. मेरे सीने से आ लिपटी थी। मुद्दतों पुराना वो लम्हा.. आज भी मेरे जेहन में ताजा है।। होंठों पे कंपकपाहट थी.. तुम्हारी आंखें बंद थी.. धडकनें तेज थी.. मेरे सीने से आ लिपटी थी। मुद्दतों पुराना वो लम्हा.. आज भी मेरे जेहन में ताजा है।। कुछ कहने की वो नाकाम कोशिश.. मुझे छोडने की वो नाकाम हिम्मत.. मुद्दतों पुराना वो लम्हा.. आज भी मेरे जेहन में ताजा है। "शील साहब " #वो लम्हा