जीना आ गया मुझे वो सरफिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे मैं आख़िरी चराग़ था जलना पड़ा मुझे ज़िंदगी ने डाली कई अड़चनें राह में आख़िर उनसे उलझने का सोचना पड़ा मुझे देखा मैंने आँसू ही मिलते हैं अक्सर जीवन में उनके साथ ही मुस्कुराना आ ही गया मुझे चलते-चलते जब कभी कदम थकने लगे मेरे अपनी हिम्मत को बटोर आगे बढ़ना ही पड़ा मुझे हर काली रात के बाद सुबह तो आती ही है उसी का इंतज़ार अब रहता है मुझे सब कुछ सदा अच्छा कैसे हो सकता है किसी के साथ ये समझकर जीना अब आ ही गया मुझे जीना आ गया मुझे वो सरफिरी हवा थी सँभलना पड़ा मुझे मैं आख़िरी चराग़ था जलना पड़ा मुझे ज़िंदगी ने डाली कई अड़चनें राह में आख़िर उनसे उलझने का सोचना पड़ा मुझे