अपनी बेटियों की हाँ तुम...., और भी हिफाज़त करो...। ना जाने किस गली.... किस मोड़.... किस शहर में वो दरिंदा होगा, उसकी नीच हरकत से..., ये सारा देश शर्मिंदा होगा..। लगता है अभी मरा नही है.., उन मासूमों की रूह से खेलकर। पता नही अब किसके......., दिमाक में फिर जिंदा होगा। यही थम जाए ये देशत-ए-मंज़र, तो अच्छा है... क्या पता और कितनी बार..., मेरा देश...फिर यूँ शर्मिंदा होगा। #हिफाज़त