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क्या कहूं अब मन करता नहीं कुछ कहने का बिना कहे

क्या कहूं अब 
मन करता नहीं कुछ कहने का 
बिना कहे  समझ लेता वो खुद नहीं मेरा 
थक गई रूह मेरे चौखट पर माथा टेकते टेकते
मिला ना कोइ फरिश्ता कभी 
सैयद पाप की की आग ने उसे निगल लिया 
कही
इंतजार बड़ा लम्बा होगया की बचा अल्फ़ाज़ भी कही 
खोगया
 दर्द अब अपने खुद में ही सिमट जाते हैं आज के जमाने 
में लोग ग्यरो का दर्द भला कहा अपनाते हैं
आसाओ और दुआओ को अब भी जिंदा रखा हैं 
दर्द में भी तेरे चौखट पे मथा टेका है 
फ़रियाद नहीं कम से कम 
तेरे हस्ती का नजारा तो देख
और क्या कहूं 
अब जरा सा ये आंधेरा तो देख ,,,,,,no wards to fall in my pain in
own words no words to clear my pain 

#Forest
क्या कहूं अब 
मन करता नहीं कुछ कहने का 
बिना कहे  समझ लेता वो खुद नहीं मेरा 
थक गई रूह मेरे चौखट पर माथा टेकते टेकते
मिला ना कोइ फरिश्ता कभी 
सैयद पाप की की आग ने उसे निगल लिया 
कही
इंतजार बड़ा लम्बा होगया की बचा अल्फ़ाज़ भी कही 
खोगया
 दर्द अब अपने खुद में ही सिमट जाते हैं आज के जमाने 
में लोग ग्यरो का दर्द भला कहा अपनाते हैं
आसाओ और दुआओ को अब भी जिंदा रखा हैं 
दर्द में भी तेरे चौखट पे मथा टेका है 
फ़रियाद नहीं कम से कम 
तेरे हस्ती का नजारा तो देख
और क्या कहूं 
अब जरा सा ये आंधेरा तो देख ,,,,,,no wards to fall in my pain in
own words no words to clear my pain 

#Forest