आज कुछ एकाकी भरे दिल में उदासी है कुछ कहने सुनने को जैसे कुछ न हो बस एक वीरान खामोशी है दिल के दरिया में बाढ़ सी आई है आंखों से न छलक पड़े ऐसे उफान से आए है। एकाकी