बढ़ जाएँगे कुछ और लहू बेचने वाले हो जाए अगर शहर में महंगाई ज़रा और एक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लें कुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और ©@Abdul Hakim #mahangayi