परोक्षे कार्यहन्तारं प्रत्यक्षे प्रियवादिनम् , वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् || चाणक्य कहते हैं; कि आपके सामने मीठा बोलकर पीठ पीछे आपके खिलाफ साजिश रचने वाले मित्र विष भरे घड़े के ऊपर रखे दूध के समान होते हैं. 🖤 ©abhi Yadav # true lines of Friendship