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अगर न ज़ोहरा-जबीनों के दरमियाँ गुज़रे तो फिर ये कै

अगर न ज़ोहरा-जबीनों के दरमियाँ गुज़रे
तो फिर ये कैसे कटे ज़िंदगी कहाँ गुज़रे

जिगर मुरादाबादी

©साहिर उव़ैस sahir uvaish
  #sparsh #जिगर_मुरादाबादी