दिल चाहता है आज तेरे नाम, एक इल्ज़ाम लिख दूँ...... तेरी बदमाशियों की चर्चे, सर-ए-आम लिख दूँ !!!! फिर अगर हो भी तू खफा, तो भी मैं परवाह ना करू...... तेरी हर एक शरारत का, आज बयां लिख दूँ !!!! लिखूं कुछ ऐसे, की तू सब समझ जाए...... कोई और समझ ना सके, ऐसा नाम लिख दूँ !!!!! अगर इस दिल की सुनूँ , तो न जाने क्या क्या लिख दूँ..... दरिया को दश्त, सुबह को शाम लिख दूँ !!!!!! ख्वाहिश है, की तेरी मोहब्बत और दिल-नवाज़ी के बदले...... ये दिल और ये जां, मैं तेरे नाम लिख दूँ !!!!! शर्म-ओ-हया ने हाथ मेरे रोकें हैं...... की कही दीवानगी में तुझको ही, ना खुदा लिख दूँ