प्रिय सदी..! हमसब की दुआ है, अरे दुआ ही क्यूँ ..? कामना है तुम ख़ुश रहो, फलती-फूलती रहो और अपने दामन में ढ़ेरों ख़ुशियों के तारों को टाक दो..! अब तो तुम इक्कीसवें वर्ष में प्रवेश कर गई हो, सुना है यह सबसे खतरनाक मोड़ है उम्र का उम्मीद है.. उम्मीद है इस बार कोई गहरा जख़्म नहीं दोगी.., ज्यादा तो नहीं पर..! थोड़ी सी ख़ुशी तो सबके हिस्से में आनी ही चाहिये, ज्यादा क्या कहें , पर इतना तो कर ही देना इतनी हिम्मत तो दे देना कि सब तकलीफ़ों से दो -दो हाथ कर सके..! ऐ सदी..! क्या अधिक क्या कहें.. बस इतना कि ख़ुश रहना और सबको ख़ुश रहने का अवसर प्रदान करना। बस हँसते रहना और सबको ये अवसर देती रहना..!! शिप्रा पाण्डेय 'जागृति' ©Kshipra Pandey #priy sadi..!