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कब दिन होता है और कब होता है रात कुछ पता नहीं चलता

कब दिन होता है और कब होता है रात कुछ पता नहीं चलता

जबसे तु मुझे छोड़ के गई हो सूख और दुःख एक जैसे ही लगते है कुछ परक नहीं पड़ता

आज भी मुझे याद है तुम्हारा वो हात पकड़ कर मेरा चलना सीखना

आज भी मुझे याद है मुझे सुलाने केलिए तेरी वो लोरी गाना 

मां तू जानती है की नहीं आज भी मुझे अंधेरे से डर लगता है

तेरी हात पकड़ कर सोने को मेरा जी  करता है

मां तेरे बगर कुछ अच्छा नहीं लगता

मां तुझे याद है तू मुझे खिलाया करती थी अब कुछ खाने का ही मन नहीं करता

मां अब मेरे गलती करने पर कौन मुझे टोकेगा

किया है सही और किया है ग़लत कौन मुझे समझाएगा #मेरी मां की याद आती है
कब दिन होता है और कब होता है रात कुछ पता नहीं चलता

जबसे तु मुझे छोड़ के गई हो सूख और दुःख एक जैसे ही लगते है कुछ परक नहीं पड़ता

आज भी मुझे याद है तुम्हारा वो हात पकड़ कर मेरा चलना सीखना

आज भी मुझे याद है मुझे सुलाने केलिए तेरी वो लोरी गाना 

मां तू जानती है की नहीं आज भी मुझे अंधेरे से डर लगता है

तेरी हात पकड़ कर सोने को मेरा जी  करता है

मां तेरे बगर कुछ अच्छा नहीं लगता

मां तुझे याद है तू मुझे खिलाया करती थी अब कुछ खाने का ही मन नहीं करता

मां अब मेरे गलती करने पर कौन मुझे टोकेगा

किया है सही और किया है ग़लत कौन मुझे समझाएगा #मेरी मां की याद आती है