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|| श्री हरि: || 4 - अपनों का ही 'सुना कि कोई बहु

|| श्री हरि: || 
4 - अपनों का ही

'सुना कि कोई बहुत बड़ा मल्ल आने वाला है।' गोपियों को, गोपों को, सबको ही कोई बात, कोई बहाना चाहिये जिससे नन्दनन्दन उनके समीप दो क्षण अधिक ठहरे। यह चपल कहीं टिकता नहीं, इसलिए इस गोपी ने कोई बात निकाली है। 

'मल्ल? मल्ल तो अपना विशाल दादा है।' कन्हाई को ऐसी कोई विशेषता नहीं ज्ञात जो उसके सखाओं में उसे न दीखे। संसार में कहीं और कुछ भी विशिष्ट गुण-कर्म किसी में सम्भव है, यह बात यह सोचना ही नहीं चाहता।

'एक बड़े भारी तपस्वी भी आज महर्षि शाण्डिल्य के आश्रम में आने वाले हैं।' श्यामसुन्दर की रुचि मल्ल में नहीं है तो गोपी को कोई और समाचार सोचना ही चाहिये।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

|| श्री हरि: || 4 - अपनों का ही 'सुना कि कोई बहुत बड़ा मल्ल आने वाला है।' गोपियों को, गोपों को, सबको ही कोई बात, कोई बहाना चाहिये जिससे नन्दनन्दन उनके समीप दो क्षण अधिक ठहरे। यह चपल कहीं टिकता नहीं, इसलिए इस गोपी ने कोई बात निकाली है। 'मल्ल? मल्ल तो अपना विशाल दादा है।' कन्हाई को ऐसी कोई विशेषता नहीं ज्ञात जो उसके सखाओं में उसे न दीखे। संसार में कहीं और कुछ भी विशिष्ट गुण-कर्म किसी में सम्भव है, यह बात यह सोचना ही नहीं चाहता। 'एक बड़े भारी तपस्वी भी आज महर्षि शाण्डिल्य के आश्रम में आने वाले हैं।' श्यामसुन्दर की रुचि मल्ल में नहीं है तो गोपी को कोई और समाचार सोचना ही चाहिये। #Books

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