भूख नहीं मुझे तेरे जिस्म की बेशुमार बाजारों में बिकता है तेरी बोली तो हर बाज़ार में लगी पर हमारे जैसा गरीब खरीददार वहां कहा टिकता है । नशा बहुत होगा तुझे खुदकी कीमत का एंसा कोई तो खरीददार बड़ा वहां टीका होगा लगी होगी बोली बड़ी और खुलेआम नंगा बिका होगा। तरस आता है मुझे इस कदर लगी तेरी बोली पर तड़फेगी तू उस दिन जब कोई अपना साथ नहीं होगा तेरे किसी त्योहार ओर होली पर। ज़ख्म केसे भरेगी तू दिल पे लगेंगे जो तेरे जब रोएगी तू आईने में देख के बदलते तेरे चेहरे। .........✍️ साधु बाबा जिस्म की भूख