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जब सोचा ही बड़ा हैं, तो झुके क्यों! मंज़िल को पाना

जब सोचा ही बड़ा हैं, तो झुके क्यों! मंज़िल को पाना ही हैं, तो रुके क्यों!!

©Sarfraj Alam
  जब सोचा ही बड़ा हैं, तो झुके क्यों! मंज़िल को पाना ही हैं, तो रुके क्यों!!

जब सोचा ही बड़ा हैं, तो झुके क्यों! मंज़िल को पाना ही हैं, तो रुके क्यों!! #Shayari

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