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हालात बदले हैं या अब भी वही है क्या हम थे ऐसे

 

हालात बदले हैं या अब भी वही है 
क्या हम थे ऐसे जो अब है हो गए...  

कितने दौर गुजरे थे इस दौर की गिरह से 
कुछ मुझको ही मुझसे यूं चुराकर ले गए...

वक्त़ खो़या कुछ हमको हमसे ही छीनकर
जो खा़ली था उसे कुछ से थे वो भर गए... 

आइना भी देख़ देख़ रोज़ है खै़र करे
हर दौर में चेहरे पर कुछ रंग थे भर गए...

मासूमों को न देना या खु़दा घाव कोई
जो छिपाते है कई, दिखाते कुछ और गए...

रोते है छिपकर, मुस्कुराकर है चल दिए
अब ये न कहना की हम ऐसे क्यों हो गए?...

©Swati kashyap
  #ऐसे_क्यों_हो_गए