खुश रहते हैं हम (अनुशीर्षक में पढ़ें) खुश रहते हैं हम गिरे हम जीवन में ना जाने कितनी बार, हर बार उठकर हम ख़ुद खड़े हुए ज़िंदगी ने चाहे हम पर किए जितने भी सितम, हमने हँसकर उसके सब ज़ुल्म सहे हार कभी ना मानी हमने,