दिल बगावत कर बैठा जब हटा हिजाब चेहरे से कहा सबने मुझे काफिर पर दूर हुँ धर्म के पहरे से कोई बुराई नही है खुद की तलाश में भटकना क्या पता भर ही जाये यहां मेरे ये जख्म गहरे से #मोहब्बत