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शान्ति के कबुतर उड़ गयें , अब ना जानें कहाँ नफ़रत

शान्ति के कबुतर उड़ गयें , अब ना जानें कहाँ 
नफ़रत की आग में , जल रहा है सारा ज़हा 
ढूंढता है तू आज प्यार को 
नफ़रत में प्यार मिलता है कहाँ
प्यार चाहता है तो नफ़रत छोड़ दे
नफ़रत करनें वालों का मुँह तोड़ दे
जिनको मिल गया प्यार , मिल गया सारा ज़हा
शांति के कबुतर उड़ गयें , अब ना जानें कहाँ 
नफ़रत की आग में , जल रहा है सारा ज़हा

©Mukesh Tyagi शान्ति के कबुतर उड़ गयें, अब ना जानें कहाँ
शान्ति के कबुतर उड़ गयें , अब ना जानें कहाँ 
नफ़रत की आग में , जल रहा है सारा ज़हा 
ढूंढता है तू आज प्यार को 
नफ़रत में प्यार मिलता है कहाँ
प्यार चाहता है तो नफ़रत छोड़ दे
नफ़रत करनें वालों का मुँह तोड़ दे
जिनको मिल गया प्यार , मिल गया सारा ज़हा
शांति के कबुतर उड़ गयें , अब ना जानें कहाँ 
नफ़रत की आग में , जल रहा है सारा ज़हा

©Mukesh Tyagi शान्ति के कबुतर उड़ गयें, अब ना जानें कहाँ