चाँदनी रात मैं और तुम तारों की छाँव मैं और तुम! नदी का किनारा मैं और तुम इक दूजे में खोए मैं और तुम! उफ़्फ़! क्या नज़ारे क्या मंज़र थे! जब-जब साथ होते थे मैं और तुम! ग़लतफ़हमी की आँधी में सब स्वाहा जले ख़्वाब और उतने ही जले मैं और तुम! उड़े रँग प्यार के ज्यूँ उड़े आँधी में छप्पर! बिखरे ख़्वाब, तिनका तिनका मैं और तुम! चाँदनी रात मैं और तुम तारों की छाँव मैं और तुम! नदी का किनारा मैं और तुम इक दूजे में खोए मैं और तुम! उफ़्फ़! क्या नज़ारे क्या मंज़र थे! जब-जब साथ होते थे मैं और तुम!