Nojoto: Largest Storytelling Platform

मूरत जैसी खड़ी है ऐ ,परी है या परछाईं है, पैरों

   मूरत जैसी खड़ी है ऐ ,परी है या परछाईं है, पैरों 
   के नहीं निशा जिसके ,क्या आसमान से आई है।
 
   बीचो-बीच खड़ी वीराने में, ये जादू की गुड़िया 
   दिखने वाली , ऐसी मायावी धुंध कहां से लाई है।
 
  ढका चांद बदरी में जैसे ,लट अपनी बिखराई है,
  आग का शोला लगती है, क्या आग लगाने आई है।

©Anuj Ray
  #मूरत जैसी खड़ी है ...ऐ
anujray7003

Anuj Ray

Bronze Star
New Creator
streak icon60

#मूरत जैसी खड़ी है ...ऐ #कविता

687 Views