मन की तस्वीर बनकर , तुम बसते हो , इन निगाहों में। दो आंखे बनकर , तुम ही तो हो , सुनी तन्हां राहों में। टुटे न जो , जन्मों का बंधन , वो मेरी उल्फत हो तुम , काश ताउमर गुजर जाये तेरी बांहों में। तुझ बिन बेरंग होगा , मेरे इश्क का रंग , जिन्दगी के हर एक पल, जहरीले होंगें,एक घुटन सी खलिश होगी इन हवाओं में। आज अपनी चाहत का ये,ऐलान करते हैं, बेशक,बेशुमार हम तुमसे प्यार करते हैं। तुम मेरे दिल के वो मेहताब हो,जो अनमोल है, अरबो,खरबो,करोड़ो हजारों में। उल्फत # हजारों में