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क्यूँकर ये कहें मिन्नत-ए-आदा न करेंगे क्या क्या न

क्यूँकर ये कहें मिन्नत-ए-आदा न करेंगे
क्या क्या न किया इश्क़ में क्या क्या न करेंगे 
तुम मिरे पास होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता 
न मानूँगा नसीहत पर न सुनता मैं तो क्या करता
कि हर हर बात में नासेह तुम्हारा नाम लेता था 
दीदा-ए-हैराँ ने तमाशा किया
देर तलक वो मुझे देखा किया 
किसी का हुआ आज कल था किसी का
न है तू किसी का न होगा किसी का 
थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब
वो आए तो भी नींद न आई तमाम शब

―मोमिन खां मोमिन

 #शायरी_के_अल्फ़ाज़ #शायरी #योरकोट_दीदी #योरकोटबाबा #गीत #ग़ज़ल
क्यूँकर ये कहें मिन्नत-ए-आदा न करेंगे
क्या क्या न किया इश्क़ में क्या क्या न करेंगे 
तुम मिरे पास होते हो गोया
जब कोई दूसरा नहीं होता 
न मानूँगा नसीहत पर न सुनता मैं तो क्या करता
कि हर हर बात में नासेह तुम्हारा नाम लेता था 
दीदा-ए-हैराँ ने तमाशा किया
देर तलक वो मुझे देखा किया 
किसी का हुआ आज कल था किसी का
न है तू किसी का न होगा किसी का 
थी वस्ल में भी फ़िक्र-ए-जुदाई तमाम शब
वो आए तो भी नींद न आई तमाम शब

―मोमिन खां मोमिन

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madhav1592369316404

Madhav Jha

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