*तस्वीरें भिजवा दो एक-दो अपनी* *श़ेरों में अब दम नज़र नहीं आता* जितेन्द्र शिवहरे *तस्वीरें भिजवा दो एक-दो अपनी* *श़ेरों में अब दम नज़र नहीं आता* जितेन्द्र शिवहरे