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बदनाम करने का चलन बहुत हैं, इस जिंदगी में फिसलन बह

बदनाम करने का चलन बहुत हैं,
इस जिंदगी में फिसलन बहुत हैं,
जब देखों तब मुझे छेड़ जाती हैं...
कम्बख़्त ये हवाएं बदचलन बहुत है,
वो कहती हैं चूड़ियों से लड़ने के लिए..
तुम्हारा दिया हुआ ये कंगन बहुत हैं,
मैं उसे आज़तक पा न सका यारों..
गलत है ये जीने के लिए एक जीवन बहुत हैं,
वो मुझे मिली बनारस की गलियों में..
तब समझ आया ये बनारस पावन बहुत हैं,
आज भी ये तन्हाइयां सिसकी लेती हैं..
एकांकी में दुःखी ये मेरा मन बहुत हैं,
विपिन"बहार"
  © #poetry,#vipin_bahar,#nojoto
बदनाम करने का चलन बहुत हैं,
इस जिंदगी में फिसलन बहुत हैं,
जब देखों तब मुझे छेड़ जाती हैं...
कम्बख़्त ये हवाएं बदचलन बहुत है,
वो कहती हैं चूड़ियों से लड़ने के लिए..
तुम्हारा दिया हुआ ये कंगन बहुत हैं,
मैं उसे आज़तक पा न सका यारों..
गलत है ये जीने के लिए एक जीवन बहुत हैं,
वो मुझे मिली बनारस की गलियों में..
तब समझ आया ये बनारस पावन बहुत हैं,
आज भी ये तन्हाइयां सिसकी लेती हैं..
एकांकी में दुःखी ये मेरा मन बहुत हैं,
विपिन"बहार"
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