सपनों को तेरे मैं, ना यूँ अश्कों में बहने दूँगा । बोझ गमों का चुपके-चुपके,ना पलकों को सहने दूँगा । पूछ किशन से कौन था वो खुद, राधा से क्या रिश्ता था? गिरा क्षितिज पर बनकर पियूष जो, क्या प्रेम किशन का सस्ता था? नयनों से पूछेंगे नयना, लब को ना कुछ कहने दूँगा । सपनों को तेरे मैं,ना यूँ अश्कों में बहने दूँगा। सावन : एक खूबसूरत एहसास