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मैं किसी मजहब को नहीं जानता हूं, इंसान हूं इंसान क

मैं किसी मजहब को नहीं जानता हूं,
इंसान हूं इंसान को पहचानता हूं
मैं हर टूटे बिखड़े हुए लोगों में
आशा की किरण वापस लाता हूं
जीवन जीने की उम्मीद जगाकर
मुस्कान साथ लाकर सौंप देता हूं
इंसान हूं इंसान को पहचानता हूं,
मैं किसी मजहब को नहीं जानता हूं !!

©Chandan Ki kalam मजहब 
#Insaan
#majhab
मैं किसी मजहब को नहीं जानता हूं,
इंसान हूं इंसान को पहचानता हूं
मैं हर टूटे बिखड़े हुए लोगों में
आशा की किरण वापस लाता हूं
जीवन जीने की उम्मीद जगाकर
मुस्कान साथ लाकर सौंप देता हूं
इंसान हूं इंसान को पहचानता हूं,
मैं किसी मजहब को नहीं जानता हूं !!

©Chandan Ki kalam मजहब 
#Insaan
#majhab