की अभी पुरी ना हुई है गम ए ज़ुश्तज़ु तेरी। तो अाओ कभी इश्क वाला बवाल कर लो।। सिद्धि की अभी पुरी ना हुई है गम ए ज़ुश्तज़ु तेरी। तो अाओ कभी इश्क वाला बवाल कर लो।। सिद्धि कुछ लम्हें ज़िन्दगी के