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"हँस देता जब प्रात, सुनहरे आँचल में बिखरा रोली, लह

"हँस देता जब प्रात, सुनहरे
आँचल में बिखरा रोली,
लहरों की बिछलन पर जब
मचली पड़तीं किरणें भोली !

तब कलियाँ चुपचाप उठाकर पल्लव के घूँघट सुकुमार,
छलकी पलकों से कहती हैं 'कितना मादक है संसार’ !"

©HintsOfHeart.
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