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बचपन और मिट्टी अपनी कलम नये कपड़ो से अपनी गुड़ि

बचपन और मिट्टी   

अपनी कलम 
नये कपड़ो से अपनी गुड़िया सजाना।
कभी मिट्टी की मखमली चादर पर लेट जाना।
कभी पानी डालकर गिली मिट्टी से घर बनाना।
कभी बिना मूहर्त के खिलोनो से बारात ले जाना।
यह तेरी है यह मेरी है बोलकर पिटाई कर देना।
कभी बाल पकड़ कर एक दूसरे को घसीट लेना।
कभी दूसरे की आँखो में मिट्टी डाल कर खुद आँसू बहाना।
बचपन था वो कभी पल भर में फिर से एक हो जाना।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम 
#BachpanAurMitti
बचपन और मिट्टी   

अपनी कलम 
नये कपड़ो से अपनी गुड़िया सजाना।
कभी मिट्टी की मखमली चादर पर लेट जाना।
कभी पानी डालकर गिली मिट्टी से घर बनाना।
कभी बिना मूहर्त के खिलोनो से बारात ले जाना।
यह तेरी है यह मेरी है बोलकर पिटाई कर देना।
कभी बाल पकड़ कर एक दूसरे को घसीट लेना।
कभी दूसरे की आँखो में मिट्टी डाल कर खुद आँसू बहाना।
बचपन था वो कभी पल भर में फिर से एक हो जाना।
कान्ता कुमावत

©kanta kumawat अपनी कलम 
#BachpanAurMitti