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मन की पीड़ा बुनने से ही अच्छी संहिता बनती है, रब जब

मन की पीड़ा बुनने से ही अच्छी संहिता बनती है,
रब जब सब ज्ञान बताता है तब कोई गीता बनती है,
इतना सरल नहीं होता है अक्षर में जीवन भरना पर
सारे  भाव  सँजो  लेते  है तब एक कविता बनती है।

चारण गोविन्द #चारण_गोविन्द की #शायरी #WorldPoetryDay पर #govindkesher #CharanGovindG को #Like #follow अवश्य करें।

#WorldPoetryDay
मन की पीड़ा बुनने से ही अच्छी संहिता बनती है,
रब जब सब ज्ञान बताता है तब कोई गीता बनती है,
इतना सरल नहीं होता है अक्षर में जीवन भरना पर
सारे  भाव  सँजो  लेते  है तब एक कविता बनती है।

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