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बस यूहीं— % & (पोस्ट उदासीन उबाऊ और लंबी है ... धै

बस यूहीं— % & (पोस्ट उदासीन उबाऊ और लंबी है ... धैर्य हो तो ही पढ़ें 🤗)

ऐसा बचपन से होता है जब भी कुछ छूट ने लगता है तो उसके पीछे पीछे दौड़ने लगती हूं किसी छोटी बच्ची सी कि दोनों मुठ्ठी में बटोर लूं किसी चॉकलेट की तरह या अपने प्रिय खिलौनो की तरह किसी से ना बांटु।

हम ऐसे ही होते हैं ना बच्चों की तरह अपनी प्रिय वस्तुओं को छोड़ना नहीं चाहते भले वह कोई शहर हो कोई सपना हो कोई अपना हो हम सब कुछ कैद कर लेना चाहते हैं ।

आज सुबह दूसरे शहर जाते हुए मैं सोच रही थी कि कितना कुछ अपने इस पुराने शहर से समेट लूं  शायद तस्वीरों में कैद कर लूं
उन सारे जगहों पर जाकर घूम लूं जहां टुकड़ों में ही लौटना हो या शायद नहीं भी
बस यूहीं— % & (पोस्ट उदासीन उबाऊ और लंबी है ... धैर्य हो तो ही पढ़ें 🤗)

ऐसा बचपन से होता है जब भी कुछ छूट ने लगता है तो उसके पीछे पीछे दौड़ने लगती हूं किसी छोटी बच्ची सी कि दोनों मुठ्ठी में बटोर लूं किसी चॉकलेट की तरह या अपने प्रिय खिलौनो की तरह किसी से ना बांटु।

हम ऐसे ही होते हैं ना बच्चों की तरह अपनी प्रिय वस्तुओं को छोड़ना नहीं चाहते भले वह कोई शहर हो कोई सपना हो कोई अपना हो हम सब कुछ कैद कर लेना चाहते हैं ।

आज सुबह दूसरे शहर जाते हुए मैं सोच रही थी कि कितना कुछ अपने इस पुराने शहर से समेट लूं  शायद तस्वीरों में कैद कर लूं
उन सारे जगहों पर जाकर घूम लूं जहां टुकड़ों में ही लौटना हो या शायद नहीं भी