स्वच्छंद अम्बर में उड़ने की चाह है , पर मुझे ; अपने घर में रहने की आजादी चाहिए।। रूढ़िवादी विचारो से हटकर , अब एक नई सोच बनाने की आजादी चाहिए।। अब मुझे आजादी चाहिए... तन पर जो रंग - बिरंगा चोला पहन लिया, अपने ऊपर धर्म का थप्पा लगा लिया ; अब उससे हटकर, एक सार सर्वधर्म बनने की आजादी चाहिए।। जाति से हटकर, अब अपने नाम से पहचान बनाने की आजादी चाहिए।। गुटों में बॅटें आजाद भारत से हटकर, अब एक प्रधान तंत्र बनाकर ;नव भारत बनाने की आजादी चाहिए।। अब मुझे आजादी चाहिए.... खींच दी दीवार उसके नाम से, कर रहे व्यापार उसके नाम से ; अब उससे हटकर यथार्थ वसुधैव कुटुम्ब बनाने की आजादी चाहिए।। अब आजादी चाहिए... #independenceday2020 #aajadi_special #poem