#OpenPoetry क्यूँ इश्क़ को यूँ ही छुपा के रखा है , क्यूँ पलकों के पीछे सजा के रखा है ! दे दे मुझको अब तो तू मेरी ज़िन्दगी , क्यूँ नज़रों को क़ातिल बना के रखा है ! अब ख़ुशबू तेरी आती है मेरी साँसों से , क्यूँ ये हुस्न का जादू चढ़ा के रखा है ! मैं अब सोचता हूँ आ बसूँ दिल में तेरे , क्यूँ पहरा साँसों का लगा के रखा है ! कभी ख़्वाब में तेरे तुझे ना मैं चूम लूँ , क्यूँ सपनों को अपने जगा के रखा है ! तेरा आइना भी पूछता है तुझसे अब , क्यूँ आरज़ू को तूने दबा के रखा है ! Q ishq ko